इतिहास - कहा जाता है किश्रावस्ती की खोज गणितग्य श्रावस्त ने की थी । यह ६ ठवी सदी ईसापूर्व से ६वी ई० तक कौशल की राजधानी रहा है। यह शर राप्ती नदी के किनारे बसा है तथा महात्मा बुद्ध का धार्मिक स्थल होने के कारण श्रावस्ती विश्व स्तर पर महत्व रखता है।
माना जाता है कि यही पर महत्मा बुद्ध ने अंगुलीमाल को उपदेश दिए थे जिससे उससे ज्ञान प्राप्त हुआ और उसने बुरे कम करने छोड़ दिए थे। यह स्थल बौद्ध धर्म का धार्मिक स्थल माना जाता है।
वर्त्तमान में श्रावस्ती- एक जिले के रूप में श्रावस्ती उत्तेर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती जी की देन है, २२मई १९९७ को श्रावस्ती जिले का गठन किया गया तथा इसका मुख्यालय भिनगा निर्धारित किया गया यह जिला देविपतान्मंडल के अंतर्गत आता है।
उत्तेर प्रदेश के ७१ जिलो में से एक श्रावस्ती जिले का क्षेत्रफल १८५८.२०स्कुवर किमी है । कुल जनसंख्या लगभग ८५५९८९ तथा शिक्षा का प्रतिशत २४.९% है कुल जनसंख्या में से १५६४३० पुरूष शिक्षित है और ४९३९० महिलाये शिक्षित है ...
आगे फिर कभी ,,,........
शुक्रवार, 11 दिसंबर 2009
बुधवार, 9 दिसंबर 2009
श्रावस्ती की कहानी
उत्तर प्रदेश का एक ऐसा जिला जो वर्त्तमान मुख्यमंतरी मायावती जी की देन है जहा के लोग आज समस्त सुबिधाओ से विमुख होकर जीवकोपार्जन करने को मजबूर है । श्रावस्ती जिले की कहानी यह है की जिले में एक तो मानसून देर से आया तो धान की फसल बर्बाद हो गई , कुछ किसानो कर्ज लेकर या अपने बच्चो का पेट काटकर किसी तरह धान के फसल को पानी देकर बचाए रह गए तो जब मानसून आया तो ऐसे की बाढ आगई और बची खुची फसल भी चौपट हो गयी क्या होगा भारत के उन नागरिको का यह अभी तक पहेली बना हुआ है दुसरी तरफ़ बाढ़ के पानी ने सडको को पुरी तरह बर्बाद कर दिया है और जो नाममात्र की सड़के थी भी वो किसी काम की नही रह गयी है। ठण्ड की शुरुवात हो गयी है और लोगो के घरो में अनाज लगभग ख़तम होने को है और कुछ लोग तो एक टाइम खा रहे है खास तौर से हरिजन बस्तियों की कहानी सुनकर रोना आता है जबकि सरकार मायावती जी की है जो अपने को हरिजनों का ठेकेदार बताती है । और तो और जिले के मुख्यालय से सटे गावो की कहानी ऐसी है तो दूर दराज की क्या कहानी होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है । मायावती जी सरकार पार्क और मुर्तिया बनवाने में इतना ब्यस्त हो गयी की जनता के भूख और प्यास का भी ख्याल न रहा ऐसे में कैसे जीवन यापन होगा श्रावस्ती के लोगो की यह प्रश्न अभी तक एक पहेली बना हुवा है । अब देखना यह होगा की आम लोगो की बात करने का दंभ भरने वाली कांग्रेस सरकार को इनका ख्याल आता है की नहीं ?. जरी रहेगा
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