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गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011

मायावी आगमन नौकरशाह चुस्त

श्रावस्ती, मुख्यमंत्री के प्रस्तावित दौरे के मद्देनजर बुधवार को मंडलायुक्त डॉ. गुरुदीप सिंह ने कलेक्ट्रेट सभा कक्ष में अंबेडकर गांवों के विकास कार्र्यो की समीक्षा की तथा जिला मुख्यालय पर स्थित सीएचसी भिनगा, कांशीराम शहरी आवास, कोतवाली, तहसील तथा ईदगाह तिराहे पर चल रहे इंटरलांकिग के निर्माण कार्यो का निरीक्षण किया। इस दौरान मिली खामियों पर मंडलायुक्त ने संबंधित अफसरों को कड़ी फटकार लगाते हुए मुख्यमंत्री के निरीक्षण के पहले कार्यो को पूरा करने तथा सुधार लाने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री मायावती का 11 फरवरी को श्रावस्ती में निरीक्षण प्रस्तावित है। इसी के मद्देनजर जिले का प्रशासनिक अमला अंबेडकर गांवों को चमकाने के लिए दिन रात जुटा हुआ है। विकास कार्यो तथा प्रशासनिक व्यवस्था की समीक्षा के लिए बुधवार को मंडलायुक्त श्री सिंह जिला मुख्यालय भिनगा पहुंचे और अधिकारियों की कलेक्ट्रेट सभागार में बैठक कर अंबेडकर गांवों की समीक्षा की। सीएचसी भिनगा में निरीक्षण के दौरान मंडलायुक्त को तमाम खामियां मिली। जिसपर उन्होंने जिलाधिकारी अजय कुमार सिंह व सीएमओ एसके महराज को तत्काल अव्यवस्थाओं को सुधारने के निर्देश दिए। सीएमओ को उन्होंने फटकार लगाई। इसके बाद मंडलायुक्त ने तहसील तथा कोतवाली की स्थिति का भी जायजा लिया। नगर में सफाई व्यवस्था को लेकर मंडलायुक्त ने अधिशाषी अधिकारी को भी फटकारा। कांशीराम शहरी आवासों की स्थिति बदहाल पाई गई। जिसके लिए डीएम को सुधारने के निर्देश दिए। ईदगाह तिराहे को समय से इंटरलाकिंग पूरा कराने का निर्देश दिया। इस दौरान जिलाधिकारी अजय कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक डॉ. वीबी सिंह, अपर जिलाधिकारी राम नेवास, सीडीओ रघुनाथ शरण समेत सभी जिलास्तरीय अधिकारी मौजूद थे।

मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

मायावती का मायावी दौरा.

बहराइच, मुख्यमंत्री मायावती के दौरे वाले स्थानों पर पुलिस की निगाहें शिकायतकर्ताओं को ही तलाशती रहीं। कई स्थानों पर तो न्याय की आस लेकर आए फरियादियों को फटकार भी सुननी पड़ी।
सूबे की मुख्यमंत्री मायावती को जिला अस्पताल, तहसील और अम्बेडकर गांव डीहा का निरीक्षण करना था। जिला अस्पताल और तहसील के साथ ही पुलिस लाइन मैदान में जहां मुख्यमंत्री का उड़न खटोला उतरना था वहां काफी नाकेबंदी की गई थी। आदमी के हाथ में कागज का टुकड़ा नजर नहीं आया कि पुलिस वाले झपट पड़े। अस्पताल में नबी अहमद सहित दो फरियादियों को काफी देर तक पुलिस वालों ने आगे ही नहीं बढ़ने दिया, जबकि पुलिस लाइन मैदान में फरियाद की आस लेकर आए एक व्यक्ति को पुलिस के एक बड़े अधिकारी की कड़ी फटकार सुननी पड़ी। यही नहीं पुलिस कर्मियों ने इस फरियादी को पुलिस लाइन मैदान से ले जाकर पूरे परिसर से बाहर छोड़ दिया।

गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

किसानों के सपने शिखर पर, संसाधन सिफर

भारत-नेपाल सीमा पर स्थित श्रावस्ती की अंतराष्ट्रीय महत्ता को देखते हुए मुख्यमंत्री मायावती ने वर्ष 1997 की 22 तारीख को जिले का गठन कर इसका मुख्यालय भिनगा बनाया। श्रावस्ती के विकास के लिए पुल, सड़कों का जाल बिछाने के लिए भिनगा के विधायक दद्दन मिश्र को राज्य मंत्री बनाया। किन्तु यहां के किसानों कोई पुरसाहाल नहीं है। जिले में संसाधन न होने के बाद भी आलू का उत्पादन साल दर साल बढ़ता जा रहा है। लेकिन यहां न तो मंडी है न ही कोल्ड स्टोरेज बनाया गया है। न ही इसकी कोई ऐसी योजना भी बनी है। लिहाजा तराई के आलू किसानों को दूसरे जिले पर निर्भर रहना पड़ता है। मंडी और कोल्ड स्टोरेज के अभाव में किसानों को आलू औने-पौने दामों पर बेचने को विवश होना पड़ता है। जिससे उनके पसीने की गाढ़ी कमाई माटी के मोल बिक जाता है। इस वर्ष जिले में 1810 हेक्टेअर क्षेत्रफल में आलू बोया गया है। 200 कुंतल प्रति हेक्टेअर के हिसाब से 36 हजार कुंतल आलू उत्पादन की संभावना जताई जा रही है। जबकि पिछले वर्ष 1775 हेक्टेअर क्षेत्रफल में आलू की फसल बोई गई थी। लगभग 33 हजार कुंतल आलू का उत्पादन हुआ था। परेवपुर के किसान अरुणेश प्रताप सिंह कहते हैं कि किसानों का हौसला तो है लेकिन संसाधन के अभाव में उनके सपने टूट रहे हैं। आलू पैदा करने के बाद किसान बेचने के लिए दर-दर भटकते रहते हैं। पूरे खैरी के किसान राम सूरत यादव ने बताया कि मंडी न होने से हांड़ तोड़ मेहनत करके पैदा की जाने वाली आलू को औने-पौने भाव में सब्जी मंडियों पर बेंच दिया जाता है। जिससे लागत भी नहीं निकल पाता है। इसी गांव की महिला किसान शांती देवी बताती है कि इस वर्ष तो पाला और कोहरा के कारण आलू का उत्पादन कुछ प्रभावित हुआ है। जिसे भी बेचने में काफी दिक्कतें आ रही हैं। केवलपुर के श्याम यादव कहते हैं कि जब किसानों का आलू पैदा होता है तो तीन सौ रुपये कुंतल बिकता है और जब उनकी जरुरत होती है तो 12 रुपये किलो खरीदना पड़ता है।
जिला उद्यान अधिकारी हरिहर प्रसाद कहते हैं कि मंडी और कोल्ड स्टोरेज न होने से आलू के किसानों को दिक्कतें उठानी पड़ती है। उनके उत्पादन पर असर पड़ता है। संसाधन न होने के कारण यहां आलू की खेती कराने के लिए कोई लक्ष्य भी विभाग की ओर से निर्धारित नहीं किया जाता है। फिर भी लक्ष्य के सापेक्ष आलू की बुआई अधिक क्षेत्रफल में की जाती है।